महाभारत का एक श्लोक अधूरा पढा जाता है क्यों ?
शायद गांधी Ji की वजह से..
"अहिंसा परमो धर्मः"
जबकि पूर्ण श्लोक इस तरह से है:-
"अहिंसा परमो धर्मः,
धर्म हिंसा तदैव च l
अर्थात - अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है..
किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है.
गांधीजी ने सिर्फ इस
श्लोक को ही नहीं बल्कि उसके अलावा उन्होंने एक प्रसिद्ध भजन को भी बदल दिया...
"रघुपति राघव राजा राम"
इस प्रसिद्ध-भजन का नाम है.
."राम-धुन" .
जो कि बेहद लोकप्रिय भजन था.. गाँधी ने इसमें परिवर्तन करते हुए "अल्लाह" शब्द जोड़ दिया..
गाँधीजी द्वारा किया गया परिवर्तन और असली भजन
गाँधीजी का भजन
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान...
जबकि असली राम धुन भजन...
"रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
सुंदर विग्रह मेघाश्याम
गंगा तुलसी शालीग्राम
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम"
बड़े-बड़े पंडित तथा वक्ता भी इस भजन को गलत गाते हैं, यहां तक कि मंदिरो में भी उन्हें रोके कौन?
'श्रीराम को सुमिरन' करने के इस भजन को जिन्होंने बनाया था उनका नाम था "पंडित लक्ष्मणाचार्य जी"
ये भजन "श्री नमः रामनायनम"
नामक हिन्दू-ग्रन्थ से लिया गया है।
कृपया शेयर करें.. ताकि लोग जाग्रत् हो सकें।
धन्यवाद
जय श्री राम
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